Movie Review
आदिपुरुष
कलाकार
प्रभास , कृति सैनन , सनी सिंह , देवदत्त नागे और सैफ अली खान
लेखक
ओम राउत और मनोज मुंतशिर (वाल्मीकि कृत रामायण पर आधारित)
निर्देशक
ओम राउत
निर्माता
भूषण कुमार , ओम राउत और प्रमोद सुथार आदि
रिलीज
16 जून 2023
रेटिंग
2/5
Film name- Adipurush
Release date - 16 June 2023
Adipurush Director - Om Raut
Adipurush Production - Bhushan Kumar, Krishan Kumar, Rajesh Nair, Prasad Sutar
Adipurush film genre - Mythological drama Film
Movie Run time - 179 Minutes
Adipurush production house - T-Series Films, Retrophiles
Adipurush budget - 500 Crore
Adipurush Collection Day 2 - 60 crore ( expected)
Article Category - Entertainment
'राघव ने मुझे पाने के लिए शिव धनुष तोड़ा था,अब उन्हें रावण का घमंड तोडना होगा।' राम भक्त हनुमान के सामने जानकी द्वारा कहा गया यह संवाद ही 'आदिपुरुष' की कहानी का सेंट्रल थीम है। बचपन से हम रामायण और रामलीलाओं में राघव द्वारा अन्याय पर न्याय की जीत वाली इस महान गाथा को देखते-सुनते और पढ़ते आए हैं। 'तानाजी' के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार पा चुके ओम राउत ने निसंदेह आज की जनरेशन के लिए इस महाकाव्य को भव्य स्केल पर बड़े पर्दे पर साकार किया है, मगर वो यह समझने में चूक गए की दशकों से हम जिस रामायण को देखने -सुनने के आदी हैं, उसकी एक बहुत ही मजबूत छवि हमारे दिलों में बसती हैं। ऐसे में उस छवि के साथ एक्सपेरिमेंट्स में सावधानी बरतना जरूरी है, और यही उनकी भूल है।
'आदिपुरुष' की कहानी
कहानी की शुरुआत महर्षि वाल्मीकि की रामायण की तर्ज पर ही होती है, जहां राम सिया राम गीत के माध्यम से बैकड्रॉप में राम और सीता का विवाह, कैकेयी द्वारा राजा दशरथ से तीन वचन की मांग, राम-सीता-लक्ष्मण का बनवास, छोटे भाई भरत द्वारा बड़े भाई की पादुकाएं ले जाना जैसे प्रसंग दर्शाए गए हैं। राघव (प्रभास) अपनी पत्नी जानकी (कृति सेनन) और शेष (सनी सिंह) के साथ पिता के दिए गए वचनों का पालन करने के लिए वनवास काट रहे हैं। उधर लंका में रावण की बहन अपनी कटी हुई नाक लेकर भाई लंकापति रावण (सैफ अली खान) के पास जाकर विलाप करती है। वह भाई को प्रतिशोध के लिए ब्रह्मांड की सर्वाधिक सुंदरी जानकी को अपहृत कर लाने के उकसाती है। जंगल में जानकी को एक स्वर्ण मृग दिखाई देता है, जिसे पाने के लिए वह लालायित है। जानकी की इच्छा को पूरा करने के लिए राघव स्वर्ण मृग के पीछे दौड़ते हैं, इस बात से अंजान कि वह महज रावण का एक छलावा है।
शेष को अपने भाई राघव की मदद की गुहार सुनाई देती है। वह जानकी को लक्ष्मण रेखा पार न करने की हिदायत देकर राघव की सहायता के लिए निकल पड़ता है और इधर रावण भिक्षा लेने के बहाने साधु का वेश धारण करके सीता को हर ले जाता है। बस उसके बाद राघव द्वारा सुग्रीव और हनुमान की मदद से लंकेश का संहार ही कहानी का क्लाइमेक्स है। इसके बीच में जटायु-रावण का युद्ध, शबरी के बेर, बाली-सुग्रीव का मल्ल युद्ध, रामसेतु का बनना, हनुमान द्वारा संजीवनी बूटी का लाना, इंद्रजीत और मेघनाद वध जैसे प्रसंगों को भी समेटा गया है।
'आदिपुरुष' का रिव्यू
'आदिपुरुष' के फर्स्ट लुक को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था और उसके बाद उसमें काफी बदलाव किए गए। मगर मूल चीजें जस की जस रह गईं। इसमें कोई दो राय नहीं कि VFX के मामले में फिल्म एक विजुअल ट्रीट साबित होती है, मगर CJI की खामियां रह गई हैं। 2D में वीएफएक्स और सीजीआई का काम प्रभावशाली नहीं है। जबकि 3D में यह दमदार है। सबसे बड़ी दिक्कत आती है, स्क्रीनप्ले और डायलॉग्स में। मनोज मुंतशिर के लिखे डायलॉग्स में जहां राघव और रावण के चरित्र समृद्ध हिंदी जैसे, 'जानकी में मेरे प्राण बसते हैं और मर्यादा मुझे अपने प्राणों से भी प्यारी है।' बोलते नजर आते हैं, वहीं दूसरी ओर, बजरंग (देवदत्त) और इंद्रजीत (वत्सल सेठ) 'तेरी बाप की जलेगी', 'बुआ का बगीचा समझा है क्या?' जैसे संवाद बोलकर उपहास का पात्र बन जाते हैं।
निर्देशक ओम राउत ने इसे मॉडर्न लुक देने के लिए रावण की लंका को ग्रेइश कैसल लुक दिया है, जो रावण की सोने की चमचमाती लंका के विपरीत 'हैरी पॉटर' या 'गेम ऑफ थ्रोन्स' के किले की तरह दिखते हैं। फिल्म का तीन घंटे का रन टाइम तब और खलने लगता है, जब सेकंड हाफ में कहानी सिर्फ VFX से सजे राम-रावण के युद्ध में सिमटकर रह जाती है। हालांकि इंटरवल से पहले कहानी विजुअल इफेक्ट्स के साथ अच्छी लगती है। डायरेक्टर ने अहिल्या, मेघनाद वध जैसे रामायण के कई प्रसंगों को छोड़ दिया है। बाली और सुग्रीव को वानरों का विशुद्ध रूप दिया है, तो रावण के लुक, कॉस्ट्यूम और उसके शस्त्रों को कुछ ज्यादा ही मॉडर्नाइज कर दिया गया है। रावण को एक पिशाच जैसे जीव की सवारी करते दिखाया गया है, उसके अस्त्र-शस्त्र 'गेम ऑफ थ्रोन्स' की याद दिलाते हैं।
राम की पारंपरिक छवि नहीं
सिनेमाई छूट के सहारे पौराणिक कथाएं कहने का इतिहास भारत में भी सिनेमा जितना ही पुराना है। पहली राम कथा जब परदे पर उतरी तो राम और सीता दोनों के किरदार एक ही कलाकार ने निभाए। राम की सौम्यता की झलक वहीं से निकली। तेलुगू में बनी रामकथा में राम मूंछों के साथ नजर आए और अब तेलुगू के तथाकथित सुपर सितारे प्रभास जब अपनी नई फिल्म के साथ सिनेमाघरों तक पहुंचे हैं तो वह मूंछों वाले राम ही बने हैं। राम को जिस दिन राजा बनना था, उसका मुहूर्त नक्षत्रों की गणनाएं करके ही निकाला गया। गुरु वशिष्ठ जैसे ज्ञानी ने ये मुहूर्त निकाला लेकिन वही मुहूर्त राजा दशरथ के मरण और राम के वनवास का कारण बना। राम कथा ऐसी ही छोटी छोटी अनुभूतियों की कहानी है। ये अनुभूतियां कभी केवट प्रसंग में दिखती हैं, कभी शबरी के जूठे बेरों में तो कभी राम और हनुमान के मिलन में। दुश्मन सेना में आकर मरणासन्न की चिकित्सा करने वाले सुषेण वैद्य का प्रसंग विस्तार में देखे तो बड़े सामाजिक प्रभाव वाला है, लेकिन जिस सामाजिक समरसता का पाठ राम ने पढ़ाया, वे यहां उनके पराक्रमी प्रचार के प्रपंच में खो गए हैं।
पुरुषोत्तम के आदिपुरुष बनने की कहानी
फिल्म ‘आदिपुरुष’ में जब राम कहते हैं, ‘जानकी में मेरे प्राण बसते हैं लेकिन मर्यादा मुझे प्राणों से भी प्यारी है।’ तो बस ये एक लाइन का प्रसंग है राम को मर्यादा पुरुषोत्तम सिद्ध करने का जहां वह रावण से युद्ध करने के लिए अयोध्या की सेना नहीं चाहते हैं। लेकिन, राम कथा के ऐसे ढेरों प्रसंग है जो त्रेता युग के पुरुषोत्तम को आदिपुरुष बताए जाने का फिल्म बनाने वालों का दावा मजबूत करने में उनकी मदद कर सकते थे। छोटा भाई जब हमेशा भाभी मां की सेवा औ रक्षा में ही तत्पर रहता हो तो ऐसे में बड़ा भाई अपनी पत्नी के साथ रूमानी होने का समय भी निकाल पाएगा। सोचना मुश्किल है। लेकिन फिल्म टी सीरीज की है तो अरिजीत सिंह का गाना होना ही है और गाना होना है तो फिर कबीर सिंह हो या राघव फिल्म बनाने वालों का क्या फर्क पड़ता है।
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